Description
अक्कलकोटके श्री स्वामी समर्थ महाराज, परब्रह्म का एक अद्भुत, असामान्य और अनाकलनीय अवतार है!
उनकी ज्ञात लीलाएं, उनके अक्कलकोट में निवास के दौरान लगभग २२ वर्षों की हैं, परन्तु भूतल पर उनक भौतिक तथा सूक्ष्म में विचरण करीब-करीब ७३० वर्षों का दीर्घ काल था !
इस उपन्यास के लेखन के समय मैंने किसी शिशु की तरह उनकी गोद में बैठकर तथा उनकी ७३० वर्षों की सुदीर्घ यात्रा का साक्षी बन, उनकी इस यात्रा को उपन्यास के रूप में सभी के समक्ष रखने का प्रयत्न किया है।
क्या आप भी इस विस्मयजनक यात्रा की अनुभूति लेना चाहेंगे? तो फिर चलिए, आप भी शिशु की तरह 'स्वामी माउली'- 'माता के सामान वत्सल स्वामी' की गोद में बैंठकर, इस यात्रा का आनंद लूटें। मुझे विश्वास है कि 'स्वामी माउली' के दुरूह व्यक्तित्व का अनुभव आप को आनंद देने के साथ-साथ निश्चित ही रोमांचित भी करेगा !
श्री सद्गुरवे नमः
Additional Information
Publications : रसिक आंतरभारती (Rasik Antarbharti ) Author : सखाराम आठवले(Sakharam Aathavale )
Binding : Hard Cover
ISBN No : -9788193713334
Language :हिंदी ( Hindi )
Weight (gm) : 870
Width : 13.5
Height : 5
Length : 25
Edition : 13
Pages : 402